"मचान" ख्वाबो और खयालों का ठौर ठिकाना..................© सर्वाधिकार सुरक्षित 2010-2013....कुमार संतोष

शनिवार, 18 जून 2011

ये बारिशें भी तुम सी हैं

ये बारिशें भी तुम सी हैं
कभी कभी तो मूसलाधार
कभी कभी गुमसुम सी हैं
ये बारिशें भी तुम सी हैं
जो खुश हुई तो रिमझिम सी फुहार
जो रूठ गई तो बरसती बेशुमार
कभी कभी बे मौसम सी हैं
ये बारिशें भी तुम सी हैं
कभी धूप में कभी छाओं में
कभी शहर में कभी गाँव में
कभी इंद्रधनुष के बगैर ही
कभी इंद्रधनुष की पनाहो में
ये मीठी मीठी धुन सी हैं
ये बारिशें भी तुम सी हैं
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