बहुत तनहाईयाँ हैं मेरे हिस्से में चुरा लो तुम ।
तुम्हारा साथ मेरी तनहाईयों से कुछ तो बेहतर है ।।
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ख्वाहीशें हैं मजबूरीयों के दामन में लिपटी सी ।
मुझे मेरी हि किस्मत को अभी और परखना है ।।
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कुछ तुम कहो कुछ हम कहें तो अच्छा है ।
कट जाये ये सफर यूं हीं तो अच्छा है ।।
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मैने देखे हें बदलते चेहरे को इन्सान के ।
क्या फर्क पडता हे कोई याद मुझको क्यों करे ।।
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हर मोङ पर मिल जाते हैं हमदर्द हजारों ।
शायद मेरी बस्ती में अदाकार बहुत हैं ।।
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ख़ामोशी की भी एक ज़ुबान होती है !
आँखों में भी अनकही दास्तान होती है !!
बिना लफ़्ज़ों के सुने कोई दिल की ज़ुबान !
मगर जिंदगी कब हर वक़्त मेहरबान होती है !!
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हसने और हसाने की बात करते हो !
गम में मुस्कुराने की बात करते हो !!
जब मेरे रंज़ो महन का इल्म नही !
क्यों दिल जलाने की बात करते हो !!
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