"मचान" ख्वाबो और खयालों का ठौर ठिकाना..................© सर्वाधिकार सुरक्षित 2010-2013....कुमार संतोष

गुरुवार, 12 जनवरी 2012

तुमने कुछ इस तरह से देखा


(१) 
बहाने  बहाने  से  तेरी  बात   करते   हैं
सारे  ज़माने   से  तेरी   बात  करते    हैं
जब   तनहाई   हद   से   बढ़   जाती  हैं
इस दिल  दीवाने  से  तेरी बात करते हैं
 

(2)
तुमने  कुछ  इस  तरह  से  देखा  की  सांस कुछ थम सी गई
गुजरे हुए पल आँखों से यूँ छलके की आँख कुछ नम सी गई
तेरे वापस लौट आने  के  इंतज़ार में सावन कुछ ऐसा बरसा
बरसात  आँखों  से  बेशुमार हुई  और गालो पर जम सी गई 



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