मचान
"मचान" ख्वाबो और खयालों का ठौर ठिकाना....!
"मचान" ख्वाबो और खयालों का ठौर ठिकाना..................
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सर्वाधिकार सुरक्षित 2010-2013....कुमार संतोष
शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011
नींद बहुत कम है आज कल
नींद बहुत कम है आज कल
जाने क्या गम है आज कल
दिल भरा-भरा सा रहता है
आँखे भी नम है आज कल
तू नहीं है जिंदगी में मेरी
सिर्फ तेरा भरम है आज कल
भूलने को शराब है लेकिन
मुझे तेरी कसम है आज कल
तनहाइयों से दोस्ती हो गई
महफिलों का सितम है आज कल
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