कोई रंज भी नहीं कोई मलाल भी नहीं तेरी बेवफाई पर कोई सवाल भी नहीं
मैं टूट के बिखर जाऊँगा सदा के लिए
तेरी महोब्बत में ऐसा बुरा हाल भी नहीं
कैसे यकीन कर लूँ मैं फिर से तुझ पर
ज़ख्म खाए गुज़रा एक साल भी नहीं
सुनते थे किस्से तुझ जैसे सितमगर के
तेरे सितम से बढ़कर मिसाल भी नहीं