कोई रंज भी नहीं कोई मलाल भी नहीं तेरी बेवफाई पर कोई सवाल भी नहीं
मैं टूट के बिखर जाऊँगा सदा के लिए
तेरी महोब्बत में ऐसा बुरा हाल भी नहीं
कैसे यकीन कर लूँ मैं फिर से तुझ पर
ज़ख्म खाए गुज़रा एक साल भी नहीं
सुनते थे किस्से तुझ जैसे सितमगर के
तेरे सितम से बढ़कर मिसाल भी नहीं
सुनते थे किस्से तुझ जैसे सितमगर के
जवाब देंहटाएंतेरे सितम से बढ़कर मिसाल भी नहीं
Wah! Kya kamaal kee panktiyan hain!
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...बधाई
जवाब देंहटाएंगज़ब की गज़ल है…………बेहद उम्दा।
जवाब देंहटाएंआ गई कमी कौन सी ,मेरे प्यार में |
जवाब देंहटाएंआया नसीब के के जो ,उजड़े दयार में ||
anu
.
जवाब देंहटाएंप्रियवर संतोष कुमार जी
सस्नेहाभिवादन !
बहुत जज़्बे के साथ लिखते हैं आप
कोई रंज भी नहीं कोई मलाल भी नहीं
तेरी बेवफाई पर कोई सवाल भी नहीं
क्या बात कही है … ख़ूब !
अच्छा है … लेकिन प्यास कुछ बाकी रह गई :)
कोई बात नहीं … अगली बार के लिए कुछ शेष रहना भी ज़रूरी है …
मिलते हैं जल्द ही
मेरी ताज़ा पोस्ट पर आपका भी इंतज़ार है ,
काग़जी था शेर कल , अब भेड़िया ख़ूंख़्वार है
मेरी ग़लती का नतीज़ा ; ये मेरी सरकार है
मेरी ख़िदमत के लिए मैंने बनाया ख़ुद इसे
घर का जबरन् बन गया मालिक ; ये चौकीदार है
पूरी रचना के लिए मेरे ब्लॉग पर पधारें … आपकी प्रतीक्षा रहेगी :)
कुछ विलंब से ही सही…
♥ स्वतंत्रतादिवस सहित श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की भी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं स्वीकार करें !♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
कैसे यकीन कर लूँ मैं फिर से तुझ पर
जवाब देंहटाएंज़ख्म खाए गुज़रा एक साल भी नही
क्या बात है क्या दर्द है.
सचिन को भारत रत्न नहीं मिलना चाहिए. भावनाओ से परे तार्किक विश्लेषण हेतु पढ़ें और समर्थन दें- http://no-bharat-ratna-to-sachin.blogspot.com/
Aadarneye Kshama ji, kunwar ji, chandra bhushan ji, vandana ji, Anu ji, rajendra swarnkar ji, aap sabhi ka bahut bahut dhanywaad.
जवाब देंहटाएंdard ek miyad tak hi dard ki anubhuti deta hai aur jab apni miyad se jyada badh jata hai to uska insan itna aabhaasi ho jata hai ki dard ka ehsas hi khatam ho jata hai...ye gazel usi ehsas tak pahuch jane wali stithi ki dhyotak hai.
जवाब देंहटाएंअनुपम रचना ...........
जवाब देंहटाएंमैं टूट के बिखर जाऊँगा सदा के लिए
जवाब देंहटाएंतेरी महोब्बत में ऐसा बुरा हाल भी नहीं
कैसे यकीन कर लूँ मैं फिर से तुझ पर
ज़ख्म खाए गुज़रा एक साल भी नहीं
सभी शेर खूबसूरत है...
दर्द की भी अपनी खूबसूरती होती है..
और उसे कैसे बयां करें..
थोडा क्या बहुत मुश्किल होता है..
लेकिन खूबसूरती बढ़ ही जाती है अंदाजे बयां कैसे हो...
बस...
सब उसी पर है...
खूबसूरत और क्या...!!!