"मचान" ख्वाबो और खयालों का ठौर ठिकाना..................© सर्वाधिकार सुरक्षित 2010-2013....कुमार संतोष

गुरुवार, 12 जनवरी 2012

तुमने कुछ इस तरह से देखा


(१) 
बहाने  बहाने  से  तेरी  बात   करते   हैं
सारे  ज़माने   से  तेरी   बात  करते    हैं
जब   तनहाई   हद   से   बढ़   जाती  हैं
इस दिल  दीवाने  से  तेरी बात करते हैं
 

(2)
तुमने  कुछ  इस  तरह  से  देखा  की  सांस कुछ थम सी गई
गुजरे हुए पल आँखों से यूँ छलके की आँख कुछ नम सी गई
तेरे वापस लौट आने  के  इंतज़ार में सावन कुछ ऐसा बरसा
बरसात  आँखों  से  बेशुमार हुई  और गालो पर जम सी गई 



39 टिप्‍पणियां:

  1. बरसात आँखों से बेशुमार हुई और गालो पर जम सी गई


    मर्म को छूती हुई ...रचना ...

    जवाब देंहटाएं
  2. Waah kya baat hai aapko facebook par bhi follow kar raha hoon main.

    जवाब देंहटाएं
  3. मन के भावो को शब्द दे दिए आपने......

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह!!!
    बहुत सुन्दर...
    बरसात आँखों से बेशुमार हुई और गालो पर जम सी गई ...
    क्या बात कही..

    जवाब देंहटाएं
  5. पहली बार आपके ब्लॉग पर आया ...... बहुत ही अच्छा लगा..... मेरे भी ब्लॉग पर एक दृष्टि डाले
    नव वर्ष की मंगल कामना ...
    रोमांचित करने वाली रचना है आपकी
    babanpandey.blogspot.com
    meribaat-babanpandey.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बबन पाण्डेय जी यूँ ही आते रहें और अपना स्नेह बनाये रखें !

      आभार !

      हटाएं
  6. बरसात आँखों से बेशुमार हुई और गालो पर जम सी गई
    उफ ! ये शब्‍द !!

    जवाब देंहटाएं
  7. तुमने कुछ इस तरह से देखा की सांस कुछ थम सी गई
    गुजरे हुए पल आँखों से यूँ छलके की आँख कुछ नम सी गई
    तेरे वापस लौट आने के इंतज़ार में सावन कुछ ऐसा बरसा
    बरसात आँखों से बेशुमार हुई और गालो पर जम सी गई
    बहुत बढ़िया

    जवाब देंहटाएं
  8. पहला वाला ज्यादा बढ़िया लगा |

    जवाब देंहटाएं
  9. क्या बात है-बहुत खूब संतोष जी,..
    बहुत अच्छी रचना,सुंदर प्रस्तुति
    नई रचना-काव्यान्जलि--हमदर्द-

    जवाब देंहटाएं
  10. बहाने बहाने से तेरी बात करते हैं
    सारे ज़माने से तेरी बात करते हैं
    जब तनहाई हद से बढ़ जाती हैं
    इस दिल दीवाने से तेरी बात करते हैं

    khoobsoorat se ashaar...

    जवाब देंहटाएं
  11. मेरी रचना को नयी पुरानी हलचल में शामिल करने का बहुत बहुत आभार अनुपमा त्रिपाठी जी !

    जवाब देंहटाएं
  12. वाह.. दिल को छु गयी रचना...
    बेहतरीन रचना है

    जवाब देंहटाएं
  13. बहाने बहाने से तेरी बात करते हैं
    सारे ज़माने से तेरी बात करते हैं
    ....
    संतोष जी ...जब ऐसे बातें करेंगे तब तो बरसात होगी ही ...कोई अपनी तरफ से कभी उसका जिक्र छेड़ देगा ...तब और जोर से होगी !

    अपनी सी लगी आपकी बरसात !!

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  14. बहुत खूब ...!
    दोनों बढ़िया लिखें हैं !

    जवाब देंहटाएं
  15. तेरे वापस लौट आने के इंतज़ार में सावन कुछ ऐसा बरसा
    बरसात आँखों से बेशुमार हुई और गालो पर जम सी गई

    bahut sundar santosh ji .....badhai .

    जवाब देंहटाएं
  16. तेरे वापस लौट आने के इंतज़ार में सावन कुछ ऐसा बरसा
    बरसात आँखों से बेशुमार हुई और गालो पर जम सी गई

    bahut sundar santosh ji...... badhai

    जवाब देंहटाएं
  17. बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना ! दिल को छू गई हर एक पंक्तियाँ ! बढ़िया लगा!

    जवाब देंहटाएं
  18. बहाने बहाने से तेरी बात करते हैं
    सारे ज़माने से तेरी बात करते हैं
    जब तनहाई हद से बढ़ जाती हैं
    इस दिल दीवाने से तेरी बात करते हैं ...

    वाह गज़ब का लिखा है ... तन्हाई बढ़ जाती है इंसान बडबडाता ही है ...

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  19. बहुत सुंदर रचना ,बेहतरीन भाव पूर्ण प्रस्तुति,......
    welcome to new post...वाह रे मंहगाई

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  20. lovely lines santosh...second verse was awesome.shayri,kavita,quotation...ka bimesal sangam.Enjoyed this really.thanks for sharing.Following!

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    उत्तर
    1. शुक्रिया रोहित जी मेरे ब्लॉग में शामिल होने के लिए

      हटाएं
  21. बहुत संदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट " डॉ.ध्रमवीर भारती" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  22. वाह ......

    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
    vikram7: कैसा,यह गणतंत्र हमारा.........

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  23. बहुत सुंदर प्रस्तुति,वाह बहुत खूब ,
    WELCOME TO NEW POST --26 जनवरी आया है....

    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए.....

    जवाब देंहटाएं
  24. तुमने कुछ इस तरह से देखा की सांस कुछ थम सी गई
    गुजरे हुए पल आँखों से यूँ छलके की आँख कुछ नम सी गई
    तेरे वापस लौट आने के इंतज़ार में सावन कुछ ऐसा बरसा
    बरसात आँखों से बेशुमार हुई और गालो पर जम सी गई
    Kya gazab likha hai!

    जवाब देंहटाएं
  25. बहुत सुन्दर...

    और भी कई रचनाएँ पढ़ीं....
    बहुत बढ़िया...

    शुभकामनाएँ.

    जवाब देंहटाएं

आपकी प्रतिक्रिया बहुमूल्य है !

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