(१)
बहाने बहाने से तेरी बात करते हैं
सारे ज़माने से तेरी बात करते हैं
जब तनहाई हद से बढ़ जाती हैं
इस दिल दीवाने से तेरी बात करते हैं
(2)
तुमने कुछ इस तरह से देखा की सांस कुछ थम सी गई
गुजरे हुए पल आँखों से यूँ छलके की आँख कुछ नम सी गई
तेरे वापस लौट आने के इंतज़ार में सावन कुछ ऐसा बरसा
बरसात आँखों से बेशुमार हुई और गालो पर जम सी गई
Dono rachnayen bahut,bahut sundar!
जवाब देंहटाएंबरसात आँखों से बेशुमार हुई और गालो पर जम सी गई
जवाब देंहटाएंमर्म को छूती हुई ...रचना ...
Waah kya baat hai aapko facebook par bhi follow kar raha hoon main.
जवाब देंहटाएंसुंदर, अतिसुंदर!
जवाब देंहटाएंमन के भावो को शब्द दे दिए आपने......
जवाब देंहटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
बरसात आँखों से बेशुमार हुई और गालो पर जम सी गई ...
क्या बात कही..
पहली बार आपके ब्लॉग पर आया ...... बहुत ही अच्छा लगा..... मेरे भी ब्लॉग पर एक दृष्टि डाले
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की मंगल कामना ...
रोमांचित करने वाली रचना है आपकी
babanpandey.blogspot.com
meribaat-babanpandey.blogspot.com
बबन पाण्डेय जी यूँ ही आते रहें और अपना स्नेह बनाये रखें !
हटाएंआभार !
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबरसात आँखों से बेशुमार हुई और गालो पर जम सी गई
जवाब देंहटाएंउफ ! ये शब्द !!
तुमने कुछ इस तरह से देखा की सांस कुछ थम सी गई
जवाब देंहटाएंगुजरे हुए पल आँखों से यूँ छलके की आँख कुछ नम सी गई
तेरे वापस लौट आने के इंतज़ार में सावन कुछ ऐसा बरसा
बरसात आँखों से बेशुमार हुई और गालो पर जम सी गई
बहुत बढ़िया
पहला वाला ज्यादा बढ़िया लगा |
जवाब देंहटाएंbadhiya sher....
जवाब देंहटाएंkya khoob kah dala.
जवाब देंहटाएंक्या बात है-बहुत खूब संतोष जी,..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना,सुंदर प्रस्तुति
नई रचना-काव्यान्जलि--हमदर्द-
बहुत ही बढ़िया।
जवाब देंहटाएं----
जो मेरा मन कहे पर आपका स्वागत है
बहाने बहाने से तेरी बात करते हैं
जवाब देंहटाएंसारे ज़माने से तेरी बात करते हैं
जब तनहाई हद से बढ़ जाती हैं
इस दिल दीवाने से तेरी बात करते हैं
khoobsoorat se ashaar...
मेरी रचना को नयी पुरानी हलचल में शामिल करने का बहुत बहुत आभार अनुपमा त्रिपाठी जी !
जवाब देंहटाएंवाह.. दिल को छु गयी रचना...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना है
बहाने बहाने से तेरी बात करते हैं
जवाब देंहटाएंसारे ज़माने से तेरी बात करते हैं
....
संतोष जी ...जब ऐसे बातें करेंगे तब तो बरसात होगी ही ...कोई अपनी तरफ से कभी उसका जिक्र छेड़ देगा ...तब और जोर से होगी !
अपनी सी लगी आपकी बरसात !!
बहुत खूब ...!
जवाब देंहटाएंदोनों बढ़िया लिखें हैं !
बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंBEHTAREEN PRASTUTI.
जवाब देंहटाएंतेरे वापस लौट आने के इंतज़ार में सावन कुछ ऐसा बरसा
जवाब देंहटाएंबरसात आँखों से बेशुमार हुई और गालो पर जम सी गई
bahut sundar santosh ji .....badhai .
तेरे वापस लौट आने के इंतज़ार में सावन कुछ ऐसा बरसा
जवाब देंहटाएंबरसात आँखों से बेशुमार हुई और गालो पर जम सी गई
bahut sundar santosh ji...... badhai
बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना ! दिल को छू गई हर एक पंक्तियाँ ! बढ़िया लगा!
जवाब देंहटाएंबहाने बहाने से तेरी बात करते हैं
जवाब देंहटाएंसारे ज़माने से तेरी बात करते हैं
जब तनहाई हद से बढ़ जाती हैं
इस दिल दीवाने से तेरी बात करते हैं ...
वाह गज़ब का लिखा है ... तन्हाई बढ़ जाती है इंसान बडबडाता ही है ...
बहुत सुंदर रचना ,बेहतरीन भाव पूर्ण प्रस्तुति,......
जवाब देंहटाएंwelcome to new post...वाह रे मंहगाई
lovely lines santosh...second verse was awesome.shayri,kavita,quotation...ka bimesal sangam.Enjoyed this really.thanks for sharing.Following!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया रोहित जी मेरे ब्लॉग में शामिल होने के लिए
हटाएंwaah...shayad isi ko deewangi kahate hain,
जवाब देंहटाएंबहुत संदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट " डॉ.ध्रमवीर भारती" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंवाह ......
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
vikram7: कैसा,यह गणतंत्र हमारा.........
बहुत सुंदर प्रस्तुति,वाह बहुत खूब ,
जवाब देंहटाएंWELCOME TO NEW POST --26 जनवरी आया है....
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए.....
प्रस्तुति अच्छी लगी.,बहुत खूब
जवाब देंहटाएंwelcome to new post --काव्यान्जलि--हमको भी तडपाओगे....
सुंदर प्रस्तुती,आपकी रचना बहुत अच्छी लगी,..... .
जवाब देंहटाएंMY NEW POST ...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...
तुमने कुछ इस तरह से देखा की सांस कुछ थम सी गई
जवाब देंहटाएंगुजरे हुए पल आँखों से यूँ छलके की आँख कुछ नम सी गई
तेरे वापस लौट आने के इंतज़ार में सावन कुछ ऐसा बरसा
बरसात आँखों से बेशुमार हुई और गालो पर जम सी गई
Kya gazab likha hai!
बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंऔर भी कई रचनाएँ पढ़ीं....
बहुत बढ़िया...
शुभकामनाएँ.
बढि़या रचना।
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