"मचान" ख्वाबो और खयालों का ठौर ठिकाना..................© सर्वाधिकार सुरक्षित 2010-2013....कुमार संतोष

बुधवार, 11 मई 2011

ख़ामोशी की भी एक ज़ुबां होती है

ख़ामोशी  की  भी एक ज़ुबां  होती  है
आँखों में भी अनकही दास्ताँ होती है

बिना  लफ़्ज़ों  के  सुने  कोई  दिल की ज़ुबां
मगर जिंदगी कब हर वक़्त मेहरबाँ होती है 

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यादों से आज  मेरी मुलाक़ात हो गई
जो बात तेरी निकली तो रात हो गई

तुझसे जुदाई वाले जो पल मुझे मिले

आसमां भी रो पड़ा और बरसात हो गई

गुरुवार, 5 मई 2011

उस मौसम की हर एक बरसातें याद हैं

वो  बातें  याद हैं,  वो सारी  रातें याद  हैं
मुझे  अब तक सारी  मुलाकातें याद  हैं


भिगोया  था जब मैंने तुमको सफ़र मैं
उस मौसम की हर एक बरसातें याद हैं


वो  खुशबू  भरे  ख़त गुलाबों में लिपटे
जो  भिजवाए  थे सारी सौगातें याद हैं


वो इश्क की बातें, मोहब्बत के किस्से
दुनियाँ की रश्में, वो सवालातें याद हैं


बेहतर है भुला दूँ  जो जीना है मुझको
मगर  कैसे  भुला  दूँ  जो बातें याद हैं
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