मुझे अब तक सारी मुलाकातें याद हैं
भिगोया था जब मैंने तुमको सफ़र मैं
उस मौसम की हर एक बरसातें याद हैं
वो इश्क की बातें, मोहब्बत के किस्से
दुनियाँ की रश्में, वो सवालातें याद हैं
बेहतर है भुला दूँ जो जीना है मुझको
मगर कैसे भुला दूँ जो बातें याद हैं
भिगोया था जब मैंने तुमको सफ़र मैं
उस मौसम की हर एक बरसातें याद हैं
वो खुशबू भरे ख़त गुलाबों में लिपटे
जो भिजवाए थे सारी सौगातें याद हैंवो इश्क की बातें, मोहब्बत के किस्से
दुनियाँ की रश्में, वो सवालातें याद हैं
बेहतर है भुला दूँ जो जीना है मुझको
मगर कैसे भुला दूँ जो बातें याद हैं
चुपके -चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है "
जवाब देंहटाएंयादे दिल से भुलाई नही जाती ..सुंदर काव्य -रचना
बेहतर है भुला दूँ जो जीना है मुझको
जवाब देंहटाएंमगर कैसे भुला दूँ जो बातें याद हैं
Hmmmmm....kuchh baaten bhulaye nahee bhoolteen!
बेहतर है भुला दूँ जो जीना है मुझको
जवाब देंहटाएंमगर कैसे भुला दूँ जो बातें याद हैं
बहुत खूब.
दर्शन कौर जी, क्षमा जी, विशाल जी बहुत बहुत शुक्रिया !!
जवाब देंहटाएंबहुत गहरे भाव भर दिए आपने इन चंद शब्दों में ...आपका आभार
जवाब देंहटाएंशुक्रिया संजय जी !
जवाब देंहटाएंआभार !!