"ज़ख्म ख़ामोश हैं जो हमने खाऐ थे ज़माने से
मैं शायर हूँ, मुझे पत्थर दिल ना समझ लेना
कोई भी टूट सकता है इतना आज़माने से..."
उसे हर पल कुरेदा ज़िन्दगी ने सौ बहाने से
मैं शायर हूँ, मुझे पत्थर दिल ना समझ लेना
कोई भी टूट सकता है इतना आज़माने से..."