रात सरगोशी से जब ख्वाब चले आते हैं
बीते लम्हे वो बेहिसाब चले आते हैं
लोग लाते हैं तेरे पास किमती तोफ़े
ले कर हांथो में हम गुलाब चले आते हैं
टूटे प्यालो का गम होता है तो होता रहे
आँखो से पी कर हम शराब चले आते हैं
रोज़ मिलते हैं बन के गैर मुझे महफ़िल में
मुझे हर बार जलाने, जनाब चले आते हैं
वाह बहुत ही शानदार ।
जवाब देंहटाएंरोज़ मिलते हैं बन के गैर मुझे महफ़िल में
जवाब देंहटाएंमुझे हर बार जलाने, जनाब चले आते हैं
Wah! Bahut badhiya!
टूटे प्यालो का गम होता है तो होता रहे
जवाब देंहटाएंआँखो से पी कर हम शराब चले आते हैं
बहुत बढ़िया...
waha bahut khub.....shandar...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया वन्दना जी, वीना जी, अनू जी, और kshama जी।
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है जी, उम्दा गज़ल.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही शानदार ।
जवाब देंहटाएंआपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें.
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
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बहुत बढ़िया..
जवाब देंहटाएंभैया जी १ नंबर ----------
जवाब देंहटाएंरोज़ मिलते हैं बन के गैर मुझे महफ़िल में
मुझे हर बार जलाने, जनाब चले आते हैं
रात सरगोशी से जब ख्वाब चले आते हैं
जवाब देंहटाएंबीते लम्हे वो बेहिसाब चले आते हैं
...bahut badiya prasuti.
haardik shubhkamnyen!
बहुत बहुत शुक्रिया अनामिका जी, नीरज जी, चन्द्र भूषण जी, बंटी जी, कविता रावत जी, दिलबाग जी, और vidhya जी
जवाब देंहटाएं!
जन्माष्टमी की शुभ कामनाएँ।
जवाब देंहटाएंकल 23/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
लोग लाते हैं तेरे पास किमती तोफ़े
जवाब देंहटाएंले कर हांथो में हम गुलाब चले आते हैं
क्या सादगी है ...वाह
रोज़ मिलते हैं बन के गैर मुझे महफ़िल में
जवाब देंहटाएंमुझे हर बार जलाने, जनाब चले आते हैं...बहुत ही सुन्दर रचना....
टूटे प्यालो का गम होता है तो होता रहे
जवाब देंहटाएंआँखो से पी कर हम शराब चले आते हैं
बहुत खूबसूरत गज़ल
बहुत खूबसूरत गज़ल.....वाह
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया यशवन्त माथुर जी, vandana जी, sushma 'आहुति' जी, संगीता स्वरुप जी,ana जी !!
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