"ज़ख्म ख़ामोश हैं जो हमने खाऐ थे ज़माने से
मैं शायर हूँ, मुझे पत्थर दिल ना समझ लेना
कोई भी टूट सकता है इतना आज़माने से..."
उसे हर पल कुरेदा ज़िन्दगी ने सौ बहाने से
मैं शायर हूँ, मुझे पत्थर दिल ना समझ लेना
कोई भी टूट सकता है इतना आज़माने से..."
ज़ख्म ख़ामोश हैं जो हमने खाऐ थे ज़माने से
जवाब देंहटाएंउसे हर पल कूरेदा ज़िन्दगी ने सौ बहाने से
मैं शायर हूँ, मुझे पत्थर दिल ना समझ लेना
कोई भी टूट सकता है इतना आज़माने से
kya kamaal kee rachana hai!
bahut bahut shukriya kshama ji,
जवाब देंहटाएंdil se aabhaar .
waha bahut khub likha hai aapne ........
जवाब देंहटाएंबार बार अगर प्यार हो सकता है
तो दिल भी बार बार टूटेगा ही ........आभार
शुक्रिया अनु जी !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... गम का दरिया समेट दिया है इस शेर में ...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया दिगम्बर नासवा जी !
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