दर्द जब हद से गुजर जाये तो हँस देता हूँ
गम जब दिल में उतर जाये तो हँस देता हूँ
अब तो महफ़िल में डसती है तन्हाई मुझको
कोई मुझसा मुझे मिल जाये तो हँस देता हूँ
जिंदगी का मैं सताया हूँ मुझे गर कोई
ये कहता है तू मर जाये तो हँस देता हूँ
वक़्त के राज़ छुपाये हैं कई इस दिल में
राज़ जब आँख से बह जाये तो हँस देता हूँ
तास के पत्तों का बनता हूँ मकां रफ्ता रफ्ता
शक की आंधी में बिखर जाये तो हँस देता हूँ
अब तो महफ़िल में डसती है तन्हाई मुझको
जवाब देंहटाएंकोई मुझसा मुझे मिल जाये तो हँस देता हूँ
Behad sundar panktiyan!
बहुत खूबसूरत गज़ल
जवाब देंहटाएंदर्द से भरा इन्सां बखूबी दर्द समझता है..पर अपना दर्द अपना ही होता है...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ...
बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर
मेरी हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत बहुत शुक्रिया संगीता स्वरूप जी, कविता जी और kshama जी !
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