बहुत तन्हाईयाँ हैं मेरे हिस्से में चुरा लो तुम
तुम्हारा साथ मेरी तनहाइयों से कुछ तो बेहतर है
ज़िन्दगी कब तलक देगी मुझे उपहार में धोका
चलो धोका सही पर ज़िन्दगी से कुछ तो बेहतर है
कभी बारिश कभी झूले कभी शबनम का मौसम था
चलो सब नम गए लेकिन किसी के गम से बेहतर है
है आदत हमको पीने की चलो मन मगर समझो
ये आदत यूँ ही रहने दो ये आदत हम से बेहतर है
बहुत ही अच्छी रचना....
जवाब देंहटाएंबहुत तन्हाईयाँ हैं मेरे हिस्से में चुरा लो तुम
जवाब देंहटाएंतुम्हारा साथ मेरी तनहाइयों से कुछ तो बेहतर है
बहुत खूब.
आपकी कलम को सलाम.
मन के अकेलेपन की गहरी अभिव्यक्ति ..... उदासी के भाव लिए पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंकिसी अपने का साथ मिल जाए तो ज़िन्दगी यूँ ही बेहतर हो जाती है.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया विशाल जी,ZEAL जी और डॉ॰ मोनिका शर्मा जी..
जवाब देंहटाएंबहुत तन्हाईयाँ हैं मेरे हिस्से में चुरा लो तुम
जवाब देंहटाएंतुम्हारा साथ मेरी तनहाइयों से कुछ तो बेहतर है
WAAH
शुक्रिया रश्मि प्रभा जी ..!
जवाब देंहटाएंकभी बारिश कभी झूले कभी शबनम का मौसम था
जवाब देंहटाएंचलो सब नम गए लेकिन किसी के गम से बेहतर है
बेहद भावप्रवण अभिव्यक्ति .....!
शुक्रिया केवल राम जी ..!
जवाब देंहटाएंवाह ... बहुत बढि़या।
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण रचना सुंदर बधाई...
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट में आपका स्वागत है
Sounds interesting, might have to take you up on that some other time.
जवाब देंहटाएंFrom everything is canvas
शुक्रिया सदा जी,dheerendra जी...
जवाब देंहटाएं@unlucky thank you very much.
जवाब देंहटाएंभावमयी रचना ..गम के साथ भी ज़िंदगी बेहतर है ..
जवाब देंहटाएंkisi apne ke sath ki chaah kya kya nahi karva deti.
जवाब देंहटाएंsunder abhivyakti.
Sahi kaha anamika ji. Shukriya pasand karne ke liye.
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आदरणीय संतोष कुमार जी
सस्नेहाभिवादन !
बहुत तबीअत से लिखा है आपने -
कभी बारिश कभी झूले कभी शबनम का मौसम था
चलो सब नम गए लेकिन किसी के ग़म से बेहतर है
मुकम्मल शे'र ! बहुत ख़ूब !!
आपकी कई रचनाएं आज पढ़ी …
बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
राजेन्द्र स्वर्णकार जी आपका तहे दिल से आभार !
जवाब देंहटाएंकहने का अंदाज़ अच्छा लगा. सुंदर ग़ज़ल.
जवाब देंहटाएंसंतोष जी शब्द और भाव दोनों ही प्रचुर मात्रा में हैं तुम्हारे पास
जवाब देंहटाएंबधाई
Shukriya bhushan ji, navin ji.
जवाब देंहटाएंकभी बारिश कभी झूले कभी शबनम का मौसम था
जवाब देंहटाएंचलो सब नम गए लेकिन किसी के गम से बेहतर है
इस नमी का अपना अलग आनन्द है। ग़म क्या यह कई खुशियों से भी बेहतर होता है।
बहुत खूब. सारे शेर एक दूसरे से बेहतर है.
जवाब देंहटाएंअच्छे शब्द ...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया asha bisht जी,amit chandra जी और मनोज कुमार जी..
जवाब देंहटाएंआप सभी का एक बार फिर से तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया !