दुनियाँ है अंजानी सी और रास्ता भी अंजाना सा
तुम होते जो पास तो लगता कुछ जाना पहचाना सा
दूर गए हो तुम तो जब से दिल भी सूना सूना है
आँगन सूना घर भी सूना जैसे एक वीराना सा
दिल की बातें दिल ही जाने मुझको इतना मालूम है
तेरी गलियों में फिरता है जैसे एक दीवाना सा
जैसा हूँ में खुश रहता हूँ सबसे जब में ये कहता हूँ
सब कहते हैं मुझको लगता ये तो एक बहाना सा
तुम होते जो पास तो लगता कुछ जाना पहचाना सा
दूर गए हो तुम तो जब से दिल भी सूना सूना है
आँगन सूना घर भी सूना जैसे एक वीराना सा
दिल की बातें दिल ही जाने मुझको इतना मालूम है
तेरी गलियों में फिरता है जैसे एक दीवाना सा
जैसा हूँ में खुश रहता हूँ सबसे जब में ये कहता हूँ
सब कहते हैं मुझको लगता ये तो एक बहाना सा
जैसा हूँ में खुश रहता हूँ सबसे जब में ये कहता हूँ
जवाब देंहटाएंसब कहते हैं मुझको लगता ये तो एक बहाना सा.... bhaut acchi panktiya....
Shukriya sushma ji
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिखा है.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अमृता तन्मय जी...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने ! आपकी लेखनी को सलाम!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया बबली जी !!
जवाब देंहटाएंजैसा हूँ में खुश रहता हूँ सबसे जब में ये कहता हूँ
जवाब देंहटाएंसब कहते हैं मुझको लगता ये तो एक बहाना सा
very well said..
i like it..