"मचान" ख्वाबो और खयालों का ठौर ठिकाना..................© सर्वाधिकार सुरक्षित 2010-2013....कुमार संतोष

सोमवार, 22 अगस्त 2011

कोई रंज भी नहीं कोई मलाल भी नहीं

कोई रंज भी  नहीं कोई  मलाल भी नहीं
तेरी बेवफाई  पर कोई सवाल भी नहीं

मैं टूट के बिखर जाऊँगा सदा के लिए
तेरी महोब्बत में ऐसा बुरा हाल भी नहीं

कैसे यकीन कर लूँ मैं फिर से तुझ पर
ज़ख्म खाए गुज़रा एक साल भी नहीं

सुनते थे किस्से तुझ जैसे सितमगर के
तेरे सितम से बढ़कर मिसाल भी नहीं
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