"मचान" ख्वाबो और खयालों का ठौर ठिकाना..................© सर्वाधिकार सुरक्षित 2010-2013....कुमार संतोष

मंगलवार, 22 नवंबर 2011

बन जाओ हमसफ़र

"बन जाओ हमसफ़र कि रहगुज़र का वासता,
कट जाऐ ये सफ़र ये तन्हा तन्हा रासता,
मिल गऐ हो तुम तो मुझे मेरे करम से,
वर्ना कहां मैं ज़िन्दगी तुझको तलाशता..!!"

6 टिप्‍पणियां:

आपकी प्रतिक्रिया बहुमूल्य है !

Related Posts with Thumbnails