"मचान" ख्वाबो और खयालों का ठौर ठिकाना..................© सर्वाधिकार सुरक्षित 2010-2013....कुमार संतोष

सोमवार, 28 नवंबर 2011

अनदेखे ख्वाब

तुम्हारे साथ के
कुछ भीगे सावन
अब भी गीले पड़े हैं
उम्र गुजर रही है
मगर होंठ
अब भी सिले पड़े हैं
कुछ चाहतों के दबे ख़त
कुछ ख्वाहिशों की अधूरी
ग़ज़ल
रात के दुसरे पहर में
अनदेखे ख्वाब
सिसक उठते हैं
और आँगन के
गमले में
पोधों के पत्ते
अब तक पीले पड़ें हैं

तुम्हारा नाम
नीली स्याही से
मेरी हथेलियों में
अब भी मिटा मिटा सा है
मुझे नहीं पता
मेरी किस्मत में तुम
कितनी हांसिल हो
चलो दूर सही
तुम मेरी हिचकियों में
अब भी शामिल हो !!

36 टिप्‍पणियां:

  1. तुम्हारा नाम
    नीली स्याही से
    मेरी हथेलियों में
    अब भी मिटा मिटा सा है
    मुझे नहीं पता
    मेरी किस्मत में तुम
    कितनी हांसिल हो
    चलो दूर सही
    तुम मेरी हिचकियों में
    अब भी शामिल हो !!
    वाह .. बहुत खूब ।

    जवाब देंहटाएं
  2. कुछ चाहतों के दबे ख़त
    कुछ ख्वाहिशों की अधूरी
    ग़ज़ल
    रात के दुसरे पहर में
    अनदेखे ख्वाब
    सिसक उठते हैं... प्रशंसा से ऊपर के एहसास

    जवाब देंहटाएं
  3. अनदेखे ख्वाब बहुत ही खूबसूरती से शब्दों में पिरोये है.....

    जवाब देंहटाएं
  4. संतोष जी,
    आपकी रचना 'अनदेखे ख़्वाब'
    बहुत अच्छी लगी,..सुंदर प्रयाश..जारी रखे,
    मेरे पोस्ट 'शब्द'में आपका इंतजार है,...

    जवाब देंहटाएं
  5. तुम्हारा नाम
    नीली स्याही से
    मेरी हथेलियों में
    अब भी मिटा मिटा सा है
    मुझे नहीं पता
    मेरी किस्मत में तुम
    कितनी हांसिल हो
    चलो दूर सही
    तुम मेरी हिचकियों में
    अब भी शामिल हो !! .....मन के भाव को बहुत खुबसूरती सेनिखारा है ..बहुत सुन्दर..

    जवाब देंहटाएं
  6. दर्द छुपाना भी
    एक वजह है
    हंसने के लिए

    कविता कुछ सोचने के लिए प्रेरित करती है।

    जवाब देंहटाएं
  7. मेरी किस्मत में तुम
    कितनी हांसिल हो
    चलो दूर सही
    तुम मेरी हिचकियों में
    अब भी शामिल हो ........लाजवाब पंक्‍ति‍यां..पूरी कविता भी।

    जवाब देंहटाएं
  8. भींगे अहसासों का भावुक कर देने वाला वर्णन!

    जवाब देंहटाएं
  9. चलो दूर सही
    तुम मेरी हिचकियों में
    अब भी शामिल हो !!
    Wah!

    जवाब देंहटाएं
  10. Santosh ji..

    Kaise jaanega koi, jo khwab dil main pal raha..
    Preet ki jyoti jalaye, saath jiske chal raha..
    Honth na seekar rahen, jakar use khud hi kahen..
    Tere dil ka deep jiske saath hi hai jal raha..

    Der na karen, jakar kahen...varna humari tarah jindgi bhar gazlen likhen....:)

    sundar bhav... Aaj se aapke sahchar hua...

    Deepak Shukla..

    जवाब देंहटाएं
  11. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद मेरे इस प्रयास को पसंद करने के लिए ..!!

    जवाब देंहटाएं
  12. मेरे मुख्य ब्लॉग 'काव्यांन्जली'में आपका स्वागत है,..पोस्ट 'शब्द'पर

    जवाब देंहटाएं
  13. मेरी किस्मत में तुम
    कितनी हासिल हो
    चलो दूर सही
    तुम मेरी हिचकियों में
    अब भी शामिल हो

    सुंदर पंक्तियाँ हैं... शुभकामनाएं...

    जवाब देंहटाएं
  14. ना जाने क्यूँ आज आपकी यह पोस्ट पढ़कर, एक पुराना हिन्दी फ़िल्मी गीत याद आया...
    झूले तो पड़े बागों में मगर हम बिन तेरे न झूल सके,
    सावन में जले रे दिन रात,मगर तेरा प्यार नहीं भूले,
    हम भूल गए रे हर बात मगर तेरा प्यार नहीं भूले।
    आपकी कविता और इस गीत के भाव कुछ ऐसे हैं जो हर किसी की ज़िंदगी से लगभग मिलते जुलते हैं बस कुछ लोग इन प्यार की भावनाओं का इज़हार कर देते हैं, तो कुछ अपने मन में दबाकर, छिपा कर रखते हैं, मगर प्यार सभी करते हैं।:-) बहुत सुंदर लिखा है आपने!!! शुभकामनायें....

    जवाब देंहटाएं
  15. वाह!बहुत ही सुंदर।

    जवाब देंहटाएं
  16. भाई संतोष जी बहुत अच्छी कविता के लिए आपको बधाई और शुभकामनाएं |

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  17. मुस्कराहट में शामिल होती तो ज्यादा अच्छा लगता . बेहद खुबसूरत नज़्म..

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  18. एक बार फिर आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  19. @अमृता तन्मय जी आनंद फिल्म का एक संवाद है !

    "खुशियाँ तो कुछ फुलझड़ियों की तरह होती हैं ! जो जलती हैं, बुझ जाती हैं और ख़तम...! पर ग़म उस अगरबत्ती की तरह होता है, जो जलता है, देर तक जलता है, और ख़तम होने के बाद भी उसकी महक बनी रहती है"

    जवाब देंहटाएं
  20. रात के दुसरे पहर में
    अनदेखे ख्वाब
    सिसक उठते हैं.bahut khub.

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  21. गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने ! दिल को छू गई!

    जवाब देंहटाएं
  22. संतोष जी,नमस्कार।
    आपकी रचना 'अनदेखे ख़्वाब'लाजवाब पंक्‍ति‍यां.
    बहुत खूब..
    जय भारत !!

    जवाब देंहटाएं
  23. मेरे पोस्ट आने के लिए आभार,...
    सुंदर रचना कुछ पन्तियाँ बहुत अच्छी लगी,...
    इसी तरह स्नेह बनाये रख,...

    जवाब देंहटाएं
  24. सुन्दर स्रजन, ख़ूबसूरत भाव, शुभकामनाएं .

    जवाब देंहटाएं
  25. मेरी किस्मत में तुम
    कितनी हांसिल हो
    चलो दूर सही
    तुम मेरी हिचकियों में
    अब भी शामिल हो ....

    अब इसके आगे क्या कहे .. शब्द नहीं है तारीफ के लिये ..
    बहुत ही सुन्दर भाव.
    विजय

    जवाब देंहटाएं
  26. चलो दूर सही
    तुम मेरी हिचकियों में
    अब भी शामिल हो !!

    बहुत सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  27. चलो दूर सही
    तुम मेरी हिचकियों में
    अब भी शामिल हो ..

    बहुत खूब ... क्या लाजवाब शब्दों का तिलिस्म बुना है इस रचना में ... बहुत ही कमाल के भाव ...

    जवाब देंहटाएं
  28. बहुत खूबसूरत कविता.....
    आपका ब्लॉग भी उतना ही अच्छा...
    शुभकामनाएं.

    जवाब देंहटाएं
  29. कुछ चाहतों के दबे ख़त
    कुछ ख्वाहिशों की अधूरी
    ग़ज़ल
    बहुत बहुत सुन्दर .

    जवाब देंहटाएं
  30. तुम्हारा नाम
    नीली स्याही से
    मेरी हथेलियों में
    अब भी मिटा मिटा सा है
    मुझे नहीं पता
    मेरी किस्मत में तुम
    कितनी हांसिल हो
    चलो दूर सही
    तुम मेरी हिचकियों में
    अब भी शामिल हो !!

    wow...
    amazzing...

    जवाब देंहटाएं
  31. कितनी हांसिल हो
    चलो दूर सही
    तुम मेरी हिचकियों में
    अब भी शामिल हो !!

    बहुत खूबसूरत एहसास...

    जवाब देंहटाएं

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