एक ख़्वाब जो पलकों पर ठहर जाता है
तेरी याद बन के आंसू सा बिखर जाता है
एक लम्हे में हज़ारों पल गुजर जाते हैं
एक पल में कई लम्हा संवर जाता है
वो भी हंसता है साथ जब हंसता हूँ मैं
जब रोता हूँ तो वो जाने किधर जाता है
जब रोता हूँ तो वो जाने किधर जाता है
जुदा होता हूँ तो ख्यालों में चला जाता हूँ
वो जुदा हो के अपने घर चला जाता है
बात करता है मज़ाक में बिछड़ जाने की
दिल हर बार इस मज़ाक से डर जाता है
हज़ारों कोशिशें कर ली मनाने की उसे
लोग कहते हैं कि जाने दे अगर जाता है
है अगर प्यार तेरा सच्चा तो लौट आऐगा
फरेब एक उमर बाद तो मर जाता है
दर्द-ऐ-दिल दिल में ही रहने दो "कुमार" तुम इसको
ये उभर जाऐ तो इसका भी असर जाता है