"मचान" ख्वाबो और खयालों का ठौर ठिकाना..................© सर्वाधिकार सुरक्षित 2010-2013....कुमार संतोष

शनिवार, 24 दिसंबर 2011

अनमने से ख़याल

कुछ अनसुलझे, अनमने से ख़याल यूँ ही ज़हन में बरस जाते हैं...और दस्तक दे जाते हैं उन सोई हुई, डरी सी, सहमी हुई यादों को जिन्हें फिर से जीना एक युग गुजर जाने के समान है !
आज भी मैं उन पगडंडियों पर से रोज़ गुजरता हूँ, जहाँ बरसो पहले तुम्हारे पांव में कांटा चुभा था !
अब वो कांटा मेरे पांव में रोज़ चुभता है..... ये चुभन ही मेरे दर्द को सकूं पहुचाते हैं.......!




 जिंदगी     तुझसे     तो     कुछ      गिला     नहीं,
जिसे    दिल    से   चाहा    बस   वो  मिला   नहीं,
यूँ     तो     हज़ारो    लोग    जिंदगी    में    मिले, 
कोई  दिल   से   न  मिला, किसी से दिल मिला नहीं !





भुलना मुशकिल है उसे जो मुझे भुला गया,
हो  के  मुझसे  दूर  जो  मुझको  रूला  गया,
ख़ुदा   करे   वो  ख़ुश   रहे   जहां    भी   रहे,
कोई तो सूने दिल  में  कलियाँ  खिला गया !

35 टिप्‍पणियां:

  1. बह्हुत ही मुश्किल है ऐसी यादों से निजात पाना।

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  2. आपने विरह के क्षणों का दर्द हँसते-हँसते कह डाला है... बधाई...

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  3. वाह! बेहद ख़ूबसूरत और भावपूर्ण कविता लिखा है आपने जो प्रशंग्सनीय है! बधाई!

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  4. यूँ तो हज़ारो लोग जिंदगी में मिले,
    कोई दिल से न मिला, किसी से दिल मिला नहीं !

    kya khub likha hai.wah.

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  5. आपकी प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

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  6. बहुत भावपूर्ण कविता है

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  7. बहुत ही गहरे एहसास के साथ सुंदर प्रस्तुति.

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  8. बहुत ही सुंदर भावों का प्रस्फुटन देखने को मिला है । मेरे नए पोस्ट उपेंद्र नाथ अश्क पर आपकी सादर उपस्थिति की जरूरत है । धन्यवाद ।

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  9. बहुत ही सुन्दर शेर हैं खासकर पहला वाला|

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  10. वाह ...बहुत ही गहरे उतरते शब्‍द ... बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  11. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
    सादर बधाई...

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  12. वक्त बेवक्त तुम मुझे.....बहुत अच्छी लगी

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  13. सुने दिल में कलियाँ खिली तो सबकुछ खिला ..

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  14. खुश्क पत्तों का मुकद्दर ले कर ...बहुत अच्छी लगी

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  15. आप सभी का बहुत बहुत आभार पसंद करने के लिए !

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  16. वाह आपके मचान पर कुदक कर आज हमको बहुत प्रसन्नता हुई । अनुसरक बने जा रहे हैं ताकि मचान पर मौजूदगी बने रहे हमारी भी । बहुत बहुत शुभकामनाएं आपको जीवन और अंतर्जालीय यात्रा के लिए भी

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  17. जिंदगी तुझसे तो कुछ गिला नहीं,
    जिसे दिल से चाहा बस वो मिला नहीं,
    यूँ तो हज़ारो लोग जिंदगी में मिले,
    कोई दिल से न मिला, किसी से दिल मिला नहीं !

    सच है ... हर किसी से दिल नहीं मिल पाता है और जिससे दिल मिलता है वो भी आसानी से कहाँ मिलता है ... सुन्दर रचना है ...

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  18. बहुत ख़ूबसूरत लिखा है आपने !
    पहली बार पढ़ रहा हूँ आपको !
    मेरे पोस्ट पे आपका हार्दिक स्वागत !

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आपकी प्रतिक्रिया बहुमूल्य है !

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