यूँ ही कभी जाने अनजाने तुम्हारा ख्याल जब भी ज़हन पर यादों की सिलवटें बन जाया करता है तो चाहतों में तुम्हारे लिए अब भी दुआएँ ही निकलती हैं ! फकत दुआएँ !
आज और कल
हर एक पल
कस्तूरी की महक में
डूबी हुई शाम की तरह
एक नाम के साथ
एहसास का नयापन
हजारो लाखो तारों के बीच
अकेला चाँद
सिर्फ तुम
तुम्हारा नाम
कुछ चांदनी
कुछ सुनहरी रात
दामन में तुम्हारे
बिखरे हर पल
एक स्तब्ध हलचल
तुम्हारे घर आना हो खुशियों का
दरवाजे पर
नई शाम का पहरा
कुछ बादल
कुछ ऊँचे पर्वत
रंग बिरंगी तितलियों के पर
आँगन में
और एक
नन्ही सी तुलसी
रात की काजल मैं भीगी
शबनम की खुशबू
धुंआ-धुंआ सा उड़ता बादल
आज और कल
हर एक पल
एहसास का नयापन
जवाब देंहटाएंहजारो लाखो तारों के बीच
अकेला चाँद
सिर्फ तुम
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति है। बधाई हो।
प्रिय संतोष कुमार जी
जवाब देंहटाएंआज और कल हर एक पल
अच्छी काव्य रचना है …
सिर्फ तुम
तुम्हारा नाम
कुछ चांदनी
कुछ सुनहरी रात
दामन में तुम्हारे
बिखरे हर पल
एक स्तब्ध हलचल
वाह वाह
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
रंग बिरंगी तितलियों के पर
जवाब देंहटाएंआँगन में
और एक
नन्ही सी तुलसी
रंग बिरंगी तितलियों के पर
जवाब देंहटाएंआँगन में
और एक
नन्ही सी तुलसी.............bahut accha likha hai tumne dost
bahut hi badiya......
जवाब देंहटाएंहिमांशु जी, राजेंद्र जी, अनु जी एवं सोनल जी आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंबहुत पसन्द आया
जवाब देंहटाएंहमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
बहुत देर से पहुँच पाया .............माफी चाहता हूँ.
संजय जी आपका बहुत बहुत अभिनन्दन है मेरे ब्लॉग पर, आप मेरे ब्लॉग पर आये ये तो मेरा सौभाग्य है !
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