"मचान" ख्वाबो और खयालों का ठौर ठिकाना..................© सर्वाधिकार सुरक्षित 2010-2013....कुमार संतोष

मंगलवार, 5 अक्टूबर 2010

आज और कल हर एक पल

यूँ ही कभी जाने अनजाने तुम्हारा ख्याल जब भी ज़हन पर यादों की सिलवटें बन जाया करता है तो चाहतों में तुम्हारे लिए अब भी दुआएँ ही निकलती हैं ! फकत दुआएँ !


आज और कल
हर एक पल
कस्तूरी की महक में
डूबी हुई शाम की तरह
एक नाम के साथ
एहसास का नयापन
हजारो लाखो तारों के बीच
अकेला चाँद
सिर्फ तुम
तुम्हारा नाम
कुछ चांदनी
कुछ सुनहरी रात
दामन में तुम्हारे
बिखरे हर पल
एक स्तब्ध हलचल
तुम्हारे घर आना हो खुशियों का
दरवाजे पर
नई शाम का पहरा
कुछ बादल
कुछ ऊँचे पर्वत
रंग बिरंगी तितलियों के पर
आँगन में
और एक
नन्ही सी तुलसी
रात की काजल मैं भीगी
शबनम की खुशबू
धुंआ-धुंआ सा उड़ता बादल
आज और कल
हर एक पल

8 टिप्‍पणियां:

  1. एहसास का नयापन
    हजारो लाखो तारों के बीच
    अकेला चाँद
    सिर्फ तुम

    बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति है। बधाई हो।

    जवाब देंहटाएं
  2. प्रिय संतोष कुमार जी

    आज और कल हर एक पल
    अच्छी काव्य रचना है …

    सिर्फ तुम
    तुम्हारा नाम
    कुछ चांदनी
    कुछ सुनहरी रात
    दामन में तुम्हारे
    बिखरे हर पल
    एक स्तब्ध हलचल


    वाह वाह

    शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

    जवाब देंहटाएं
  3. रंग बिरंगी तितलियों के पर
    आँगन में
    और एक
    नन्ही सी तुलसी

    जवाब देंहटाएं
  4. रंग बिरंगी तितलियों के पर
    आँगन में
    और एक
    नन्ही सी तुलसी.............bahut accha likha hai tumne dost

    जवाब देंहटाएं
  5. हिमांशु जी, राजेंद्र जी, अनु जी एवं सोनल जी आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया !

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत पसन्द आया
    हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
    बहुत देर से पहुँच पाया .............माफी चाहता हूँ.

    जवाब देंहटाएं
  7. संजय जी आपका बहुत बहुत अभिनन्दन है मेरे ब्लॉग पर, आप मेरे ब्लॉग पर आये ये तो मेरा सौभाग्य है !

    जवाब देंहटाएं

आपकी प्रतिक्रिया बहुमूल्य है !

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