शुक्रवार, 1 अक्टूबर 2010
लालच के बंधन को तोड़ो
अपना तो बस यही नारा है
जो मिला हमें वही प्यारा है
जो नहीं मिला उसको छोड़ो
लालच के बंधन को तोड़ो
जितना हो भाग्य में मिलता है
मेहनत का फूल भी खिलता है
बिन हवा शाख कब हिलता है
कोशिस करना तुम मत छोड़ो
लालच के बंधन को तोड़ो
मत आस करो हक़ से ज्यादा
मत बनो रास्ते की बाधा
अब बीत चूका जीवन आधा
मन का रिश्ता जन से जोड़ो
लालच के बंधन को तोड़ो
जागो मन से कुछ काम करो
निष्पाप करो निष्काम करो
मत व्यर्थ यूँही आराम करो
जीवन पथ को सच से जोड़ो
लालच के बंधन को तोड़ो
जो कहा सुना सब माफ़ करो
मन की दुर्बलता साफ़ करो
मानवता का इन्साफ करो
गुण को लो अवगुण को छोड़ो
लालच के बंधन को तोड़ो
है जन्म लिया इस धरती पर
माँ के चरणों में है अम्बर
दुष्टों के चालो में आकर
मत मात पिता को तुम छोड़ो
लालच के बंधन को तोड़ो
करना, मन में जब ठानी है
जीवन तो बहता पानी है
जब खून में जोश जवानी है
धमनी में रक्त सा तुम दौड़ो
लालच के बंधन को तोड़ो
तुम विजय रहो निर्माण करो
भारत के वीर सपूत हो तुम
मत मातृभूमि का दान करो
विषधर के सर को फोड़ो
लालच के बंधन को तोड़ो
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टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
सुंदर मार्गदर्शन दिया है.
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत बात कही है ...सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 5-10 - 2010 मंगलवार को ली गयी है ...
जवाब देंहटाएंकृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
http://charchamanch.blogspot.com/
संगीता जी मेरी पोस्ट को चर्चा मंच पर शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे बंधू!
जवाब देंहटाएंसीधे-सपाट शब्दों में गहन सन्देश!
आनंद!
आशीष
--
प्रायश्चित
बहुत ही सुन्दर शब्द लिये हुये बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंकित्ती प्यारी कविता है...और ब्लॉग भी बढ़िया है...
जवाब देंहटाएं_______________
'पाखी की दुनिया' में अंडमान के टेस्टी-टेस्टी केले .
्बिल्कुल सही कहा…………सारगर्भित रचना।
जवाब देंहटाएंअनामिका जी, आशीष जी, सदा जी हौसला बढ़ने के लिए आपका साथ यूँ ही अनिवार्य है !
जवाब देंहटाएंअक्षिता जी मेरे ब्लॉग को पसंद करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद !
बहुत सुंदर रचना ... बधाई ..
जवाब देंहटाएंवन्दना जी, क्षितिजा जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंजितना हो भाग्य में मिलता है
जवाब देंहटाएंमेहनत का फूल भी खिलता है
बिन हवा शाख कब हिलता है
कोशिस करना तुम मत छोड़ो ...
सच कहा है .... अपनी करनी करते जाना चाहिए ... मेहनत का फल ज़रूर मिलता है ....
जितना हो भाग्य में मिलता है
जवाब देंहटाएंमेहनत का फूल भी खिलता है
बिन हवा शाख कब हिलता है
कोशिस करना तुम मत छोड़ो
लालच के बंधन को तोड़ो...............sachi abhivyakti........bahut khub
समीर जी, दिगम्बर नासवा जी , अनु जी आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंआगे भी इसी तरह उत्साह बढ़ाते रहिये !