"मचान" ख्वाबो और खयालों का ठौर ठिकाना..................© सर्वाधिकार सुरक्षित 2010-2013....कुमार संतोष

शुक्रवार, 1 अक्टूबर 2010

लालच के बंधन को तोड़ो



अपना  तो  बस  यही  नारा   है
जो  मिला  हमें  वही  प्यारा  है
जो  नहीं  मिला   उसको  छोड़ो
लालच   के   बंधन   को  तोड़ो

जितना हो भाग्य  में मिलता है
मेहनत  का फूल भी खिलता है
बिन हवा शाख कब  हिलता है 
कोशिस करना तुम मत छोड़ो
लालच  के   बंधन   को  तोड़ो

मत  आस  करो हक़ से ज्यादा
मत  बनो   रास्ते  की   बाधा
अब  बीत  चूका जीवन आधा 
मन  का  रिश्ता जन से जोड़ो
लालच  के  बंधन  को   तोड़ो  

जागो  मन से कुछ काम करो
निष्पाप  करो निष्काम  करो 
मत  व्यर्थ  यूँही  आराम करो
जीवन पथ  को सच से जोड़ो
लालच  के  बंधन  को  तोड़ो

जो  कहा  सुना सब माफ़  करो
मन  की   दुर्बलता  साफ़  करो
मानवता  का   इन्साफ   करो
गुण को लो अवगुण को छोड़ो
लालच  के  बंधन   को  तोड़ो

है जन्म लिया इस धरती पर
माँ  के  चरणों  में  है  अम्बर
दुष्टों   के   चालो   में   आकर
मत मात पिता को तुम छोड़ो
लालच  के  बंधन   को  तोड़ो

करना, मन में  जब  ठानी है
जीवन  तो  बहता  पानी  है
जब खून में जोश जवानी है
धमनी में रक्त सा तुम दौड़ो
लालच  के  बंधन को तोड़ो

तुम विजय रहो निर्माण करो
भारत के वीर सपूत  हो तुम
मत मातृभूमि का दान करो
विषधर  के  सर  को  फोड़ो 
लालच  के  बंधन  को तोड़ो

14 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूबसूरत बात कही है ...सुन्दर अभिव्यक्ति

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  2. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 5-10 - 2010 मंगलवार को ली गयी है ...
    कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया

    http://charchamanch.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  3. संगीता जी मेरी पोस्ट को चर्चा मंच पर शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत अच्छे बंधू!
    सीधे-सपाट शब्दों में गहन सन्देश!
    आनंद!
    आशीष
    --
    प्रायश्चित

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  5. बहुत ही सुन्‍दर शब्‍द लिये हुये बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  6. कित्ती प्यारी कविता है...और ब्लॉग भी बढ़िया है...
    _______________

    'पाखी की दुनिया' में अंडमान के टेस्टी-टेस्टी केले .

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  7. ्बिल्कुल सही कहा…………सारगर्भित रचना।

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  8. अनामिका जी, आशीष जी, सदा जी हौसला बढ़ने के लिए आपका साथ यूँ ही अनिवार्य है !
    अक्षिता जी मेरे ब्लॉग को पसंद करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद !

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  9. वन्दना जी, क्षितिजा जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  10. जितना हो भाग्य में मिलता है
    मेहनत का फूल भी खिलता है
    बिन हवा शाख कब हिलता है
    कोशिस करना तुम मत छोड़ो ...

    सच कहा है .... अपनी करनी करते जाना चाहिए ... मेहनत का फल ज़रूर मिलता है ....

    जवाब देंहटाएं
  11. जितना हो भाग्य में मिलता है
    मेहनत का फूल भी खिलता है
    बिन हवा शाख कब हिलता है
    कोशिस करना तुम मत छोड़ो
    लालच के बंधन को तोड़ो...............sachi abhivyakti........bahut khub

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  12. समीर जी, दिगम्बर नासवा जी , अनु जी आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया !
    आगे भी इसी तरह उत्साह बढ़ाते रहिये !

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आपकी प्रतिक्रिया बहुमूल्य है !

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