"मचान" ख्वाबो और खयालों का ठौर ठिकाना..................© सर्वाधिकार सुरक्षित 2010-2013....कुमार संतोष

बुधवार, 25 अगस्त 2010

याद करना मेरी बातों को

ज़िन्दगी ले जायेगी तुम्हे दूर तक
थामे रखना तुम इन ऊंगलियों को
जब छूटने लगे भीङ में कभी
महसूस करना मेरी चाहत को
अनजानी ताकत में ऊंगलियाँ जकड जायेंगी
फिर हालात कि आँधी हो या ज़ज्बात का तुफान
तुम खीचे आओगे मेरी तरफ
और तब भी कोई डर सताने लगे
आँखो को मीच कर याद करना
उन लम्हो को जो कभी मेरे साथ गुजारे थे तुमने
याद करना मेरी बातों को
उन वादों को जो तुम्हे साक्षी मान कर किये थे मैने
तुम्हारा डर खत्म हो जायेगा
यकीनन तुम्से दूर चला जायेगा
और उस वक्त जो तुम्हारे सबसे करीब होगा
खोल कर आँखे देखना
वो मैं रहूँगा
सिर्फ मैं.......

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