कितनी भी हो प्रिय प्रेमिका लेकिन बड़ी विकट होती है
मंडराते खर्चे के बादल जब भी कभी निकट होती है
सुबह सवेरे फ़ोन करेंगे
फ़ोन तो क्या मिस कॉल करेंगे
कर भी लिया फ़ोन चलो माना
अंत में बिल तो हम ही भरेंगे
आठ घंटे कॉल के बाद भी फ़ोन नहीं डीस्कनेस्ट होती है
कितनी भी हो प्रिय प्रेमिका लेकिन बड़ी वीकट होती है
शोपिंग तो सिर्फ माल में होगी
लंच डिनर हर हाल में होगी
उतर गया जब भूत डाइटिंग का
डेट फिर माक डोनाल्ड में होगी
पिक्चर का खर्चा भी महंगा पाँच सौ की टिकट होती है
कितनी भी हो प्रिय प्रेमिका लेकिन बड़ी वीकट होती है
दस लिपिस्टिक बारह सेंडिल
रोज़ रोज़ नए नए स्कैंडल
फरमाइश अभी पूरी भी नहीं
तभी टूट गया पर्स का हेंडल
कितने भी कंजूस बनो तूम खर्चे की ये एक्सपर्ट होती हैं
कितनी भी हो प्रिय प्रेमिका लेकिन बड़ी वीकट होती है
झूठे प्यार का हैं ये नमूना
लेकिन प्रेमिका बिन जगसुना
प्यार बढे जब हद से समझो
लगने वाला है तब चूना
छोटी छोटी बातों पर भी सारा दिन खटपट होती है
कितनी भी हो प्रिय प्रेमिका लेकिन बड़ी वीकट होती है
जासूसी करें नए नए वो
मेसेज बॉक्स भी चेक करे वो
टोक- टोक के आदत बदली
खुद ही कहें फिर बदल गए हो
बहस करो इस बात पर जब तुम झूट मूठ की हर्ट होती है
कितनी भी हो प्रिय प्रेमिका लेकिन बड़ी वीकट होती है
वाह क्या बात कही है आपने इन पंक्तियों के द्वारा .... अच्छी रचना .....
जवाब देंहटाएंकुछ लिखा है, शायद आपको पसंद आये --
(क्या आप को पता है की आपका अगला जन्म कहा होगा ?)
http://oshotheone.blogspot.com
:-) :-)
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