आज जब भी मैं तन्हा होता हूँ
पुरानी बातों को
अक्सर याद करता हूँ
कुछ तस्वीरें सहेजी हैं
उन लम्हों की
अब तक
कुछ ख़त हैं
मुड़े-मुड़े से
एक सुखा सा फूल
जिसमें उस वक़्त की महक अब भी है
कुछ तोहफे, कुछ यादें
कुछ खिलौने, कुछ किताबें
कुछ आंसू, कुछ सदमें
कुछ मौसम, कुछ रातें
कितना मुस्किल है
इन्हें भुला पाना
और शायद
मैं भूलना भी नहीं चाहता
कुछ कडवाहटों की तस्वीर
अलग फ्रेम में लगाऊँगा
कुछ ख़ुशीयों की प्रदर्शनी सजाऊँगा
अक्सर ऐसा ही कुछ सोंचा करता हूँ
आज जब भी मैं तन्हा होता हूँ
पुरानी बातों को
अक्सर याद करता हूँ
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