मैं तेरी मोहब्बत का इलज़ाम लिए फिरता हूँ
जिस शहर से भी गुजरूँ तेरा नाम लिए फिरता हूँ
तेरा जाना मेरे दिल को हर लम्हा रुलाता है
अश्क छुपाने की कोशिस नाकाम लिए फिरता हूँ
दरबे पर मुझसे मिलने तेरा नंगे पाँव आना
अब तक एहसासों की मैं वो शाम लिए फिरता हूँ
अच्छा है भूल जाऊं किस्मत मैं जब नहीं तू
तुझको भूलने के खातिर मैं जाम लिए फिरता हूँ
जीना भी क्या है जीना बिन तेरे भला मुझको
मैं अपने न होने का पैगाम लिए फिरता हूँ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपकी प्रतिक्रिया बहुमूल्य है !