चंद लफ़्ज़ों में डूबी इश्क की दास्ताँ
लिखने बैठूं तो पूरी स्याही ख़त्म हो जाएगी
वो उनके चेहरे पर मंद मंद सी मुस्कराहट
समेटने बैठूं तो पूरी जिंदगी ख़तम हो जाएगी
एक रोज़ यों ही मुलाक़ात हो गई राह में
अजनबी थे मगर कुछ तो था दोनों के एहसास में
आते जाते अक्सर मुलाकाते होने लगी
एक रोज़ यों ही मुलाक़ात हो गई राह में
अजनबी थे मगर कुछ तो था दोनों के एहसास में
आते जाते अक्सर मुलाकाते होने लगी
जान पहचान बढ़ी फिर बातें होने लगी
अब जब भी मिलते थे घंटो बात किया करते थे
एक दुसरे की आँखों में सपने पाला करते थे
न वक़्त के गुजरने का होश,
एक दुसरे की आँखों में सपने पाला करते थे
न वक़्त के गुजरने का होश,
न ही दिन के ढलने का ख्याल
दिल बस यही सोंचता
दिल बस यही सोंचता
की कब रात ढले और कब उनका दीदार हो
कब उनके लब खुलें
कब उनके लब खुलें
कब बारिश मुसलाधार हो
दोनों की नजदीकियाँ बढ़ने लगी
दोनों की नजदीकियाँ बढ़ने लगी
दोनों का खुमार बढ़ने लगा
कुछ पता नहीं चला कब दोनों में प्यार बढ़ने लगा
न ही भूख लगने की फ़िक्र
न ही किसी काम का होश
चंद मिनटों के लिए कुछ कहते
फिर घंटो तक खामोश
दिन जैसे बड़ी तेजी से पंख लगा उड़ता जा रहा था
और वो बस एक दुसरे की आँखों में अपना सपना सजाने लगे थे
खयालो में जीना, सपने सजाना
तस्सवूर में खोना, वो रूठना मानना
अल्ल्हड़ वो मस्ती, वो शोख जवानी
नदी का किनारा, वो झरने का पानी
न कुछ थी खबर, न होश कहीं था
बस वो थे वही थे कोई और नहीं था
मगर जाने कहाँ से वो आंधी थी आई
और वो बस एक दुसरे की आँखों में अपना सपना सजाने लगे थे
खयालो में जीना, सपने सजाना
तस्सवूर में खोना, वो रूठना मानना
अल्ल्हड़ वो मस्ती, वो शोख जवानी
नदी का किनारा, वो झरने का पानी
न कुछ थी खबर, न होश कहीं था
बस वो थे वही थे कोई और नहीं था
मगर जाने कहाँ से वो आंधी थी आई
कुछ ग़लतफहमी झोंको ने सपने बिखेरे
भरोसा था उनका वो टुटा वहीँ पर
जिंदगी के शुरू फिर वो गहरे अँधेरे
आज फिर से उनकी जिंदगी में एक सूनापन है
आज फिर उनकी तनहाइयों में वीरानापन है
वो बेबस हैं बैठे, और सोंचते ये रहते
वो बेबस हैं बैठे, और सोंचते ये रहते
क्या ? प्यार था उनका
जो ग़लतफहमी से टूटा
क्या ? भरोसा था उनका
ये बंधन जो छूटा
जाने अनजाने अपने ही मैं में
उन हसीं लम्हों को
पनपने से पहले ही दफना दिया उन्होंने !!
कहीं कोई ना कोई प्यार में कमी रही होगी,
जवाब देंहटाएंकहीं कोई ना कोई जगह खाली रही होगी,
जो संदेह ने पाँव फैलाए थे...
वर्ना भगवान की भी क्या बिसात
जो प्यार करने वालों के प्यार
उनके चाहने से पहले दफ़न हो जाएँ.
बहुत सुंदर एहसासों से सजी है आपकी रचना.
शुक्रिया अनामिका जी मेरे ब्लॉग को अपनी टिप्पणियों से धन्य करने के लिए.
जवाब देंहटाएंआभार...
पूरी इश्क की दास्ताँ बयाँ कर दी आपकी इस कविता ने| सुन्दर लेखन के लिए बधाई|
जवाब देंहटाएंब्रह्माण्ड
kya baat...kya baat...kya baat....
जवाब देंहटाएंshandaar ,aage badhiye aur chha jaiye!
अच्छी पंक्तिया लिखी है आपने .....
जवाब देंहटाएं.....
(आजकल तो मौत भी झूट बोलती है ....)
http://oshotheone.blogspot.com
आज फिर से उनकी जिंदगी में एक सूनापन है आज फिर उनकी तनहाइयों में वीरानापन है वो बेबस हैं बैठे, और सोंचते ये रहते
जवाब देंहटाएंbahut badiya... maza aa gaya pad kar....
A Silent Silence : Ek bejurm sazaa..(एक बेजुर्म सज़ा..)
Banned Area News : 11 hrs of meditation may boost brain function
lovely !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
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