तुम एक
ख्वाब हो
जिसे देखना
मेरी आदत है
खुली पलकों से
हर घडी
हर पल
हर क्षण
व्याकुल मन
तुम्हारे आने कि
प्रतीक्षा मैं
अपलक
देखता उन राहों को
जिसपर तुमने कभी
पैर भी न धरे
फिर भी इस आस पर
कि यह ख्वाब
आशाओं कि गलियों से होकर
तुम्हारे पलकों के
आँगन तक पहुचे
तो शायद
मेरी प्रतीक्षा में
न्यूनता आये !!
बहुत सुंदरता से मन के भाव शब्दों में ढाल दिए हैं.
जवाब देंहटाएंबधाई.
हर पल होंठों पे बसते हो, “अनामिका” पर, . देखिए
बेहतरीन!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया मेरे ब्लॉग पर आने के लिए
जवाब देंहटाएंआभार !